जब उत्तर प्रदेश की चूड़ियाँ आंध्रप्रदेश में खनकती है, जब पंजाब की फसल मणिपुर में पकती है। जब कश्मीर की केसर केरल में महकता है, तो उस एहसास को भारत कहते है। भले ही हमारे भाषाओं में फर्क हो, भले ही हमारे त्योहारों में तासीरें अलग हो लेकिन एक एहसास जो इस मुल्क को जोड़ता है वह है भारत । भारत की श्रेष्ठता ही उसकी विविधता से है।
“जहाँ भारत के हर रंग का संगम हो,
जहाँ हर भारतीय के विचारों का मिलन हो ।
अनेक विविधताओं से सजा,
मेरा एक भारत हो पर श्रेष्ठ भारत हों ।”
विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं से सजा हुआ गुलदस्ता है मेरा भारत देश । यह गुलदस्ता तभी सुन्दर लगता है जब उसमें बसे सारे फुल एक दूसरे से सुसंगति रखते हो ।
भारत प्रकृति का प्रिय पालना है। यह निर्मल निसर्ग का निरुपम निलय है। जब जयशंकर प्रसाद जी कितना सटीक श्रेष्ठ भारत का चित्रांकन प्रस्तुत किया है –
अरुण यह मधुमय देश हमारा।
जहाँ पहुँच अंजान क्षितिज को मिलता एक सहारा ।।
इसके चारु-चरणारविन्दों में शत-शत स्वर्ग समर्पित है। इसकी ललित लीलाभूमि में राधा के प्रणयगीत थिरकित हैं और कन्हैया की विलोल वाँसुरी गुँजित है ।
हम सचमुच भाग्यवान है कि हमारा जन्म स्वर्ग से भी सुभगतर भारत वर्ष मैं हुआ ।
कमनीय केसर- कुसुमों से शोभित धरती के स्वर्ग कश्मीर के ताल तरल सौन्दर्य और पुरुषार्थ भूमि पंजाब का पराक्रम, होली की मस्ती, दीपावली का दीपोत्सव, वैशाखी का उत्सव, दशहरे का उल्लास और ईद का मिलन । चैता, कजरी, अल्हा एवं विरहा की तान। पूर्व में वंगोपसागर और बंग भूमि की चिरश्यामल मनभावनी हरीतिमा । पश्चिम में अरबसागर और दक्षिण में चारू चरण पखारता ‘हिन्द महासागर’ । यहीं वेद की ऋचाएँ गूँजी। यहीं से विश्व में विद्या की विभा विभासित हुई और ज्ञान की गंगा यहीं से प्रवाहित हुई ।
‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वेसन्तुनिरामया’
‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वेसन्तुनिरामया’ – का मंत्र-दृष्टा भारत महावीर और बुद्ध की भूमि है अपना श्रेष्ठ भारत ।
अहिंसा के दर्शन ने इसे दिव्यता प्रदान की है। विश्व प्रेम ने इसे अमरता के वरदान से विभूषित किया है। सत्य ने इसे जिजीविषा की ज्योति से आलोकित किया है। उत्पीड़ित मानवता की मुक्ति का चिन्तन ने इसे शांति का ध्वजवाहक बनाया है। परित्याग इसकी पूजा है और सेवा इसकी साधना । शिवि का अस्थिदान, परमार्थ की वेदी पर दधीचि का बलिदान, हरिश्चन्द्र और कर्ण का अपना सर्वस्व दान ने हमारी मातृवत्सला भारत माता को महिमा मंडित किया है।
काउंट जोन्स जेनी ने लिखा है-
“भारत केवल हिन्दू धर्म का घर नहीं है, वरन यह संसारे की सभ्यता की आदिभूमि है।”
रोम्या रोलाँ ने कहा है- “अगर संसार में कोई एक देश हैं, जहाँ जीवित मनुष्य के सभी सपनों को उस प्रचीन काल से जगह मिली है, जबसे मनुष्य ने अस्तित्व का सपना प्रारंभ किया है, तो वह भारत है।”
हमने केवल धर्म, संस्कृति, अध्यात्म और साहित्य ही नहीं, वरन् विज्ञान के क्षेत्र में भी मार्गदर्शन किया है। आज हम चाँद के दक्षिणी धुर्व जहाँ आज तक कोई कदम नही रख पाया वहाँ हम पहली बार पहुँचे। अभी हम आदित्य एल-1 के माध्यम से सूर्य को निकट दृष्टि से देख पाने में सक्षम हैं। आज हम भारतीय अपने परिश्रम, इनोवेशन, उधमशीलता के प्रतिबिंब है। हम भारतीय चाहे देश में रहें हों, या फिर विदेशों में, हमने अपनी मेहनत से खुद को साबित किया है और एक भारत श्रेष्ठ भारत की के सपनों को साकार करने में प्रत्यतशील है। आज हमारी सेना का सामर्थ्य अपार है। आर्थिक रुप में हम अग्रणी देश में सुमार है। आज भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम दुनिया में आकषण का केन्द्र बना है। आज दुनिया के हर मंच पर भारत की क्षमता और भारत की प्रतिभा की गूंज है। इसका उदाहरण G-20 समिट का सफल आयोजन भारत की ताकत को पुरे विश्व में एक अलग पहचान को दर्शाता है ।
आज भारत अभाव के अंधकार हो बाहर निकलकर 130 करोड़ से अधिक आकांक्षाओं को पूर्ति के लिए आगे बढ़ रहा है। आज भारत की उपल्बिधियाँ सिर्फ हमारी अपनी नही है, बल्कि ये पूरी विश्व को रोशनी दिखाने वाली हैं, पूरी मानवता को उम्मीद जगाने वाली है।
कोरोना काल में ये हमारे सामने प्रत्यक्ष सिद्ध भी हुआ है। भारत मानवता को महामारी के संकट से बाहर निकालने में वैक्सीन निर्माण कर पूरी दुनिया की लाभ पहुंचाया है। आज हम कृषि के क्षेत्र में आगे है। सबसे कम लागत की परमाणु ऊर्जा उत्पन्न करने में सक्षम है। हम सोने का सबसे बड़ा आयातक, सबसे बड़ा दूध उत्पादक, कम लागत का सुपर कंप्युटर, निम्न लागत वाली कार(नैनो), डाकघरों की सबसे बड़ी संख्या, इत्यादि विश्वभर में दबदबे का सीधा-सीधा उदाहरण है। सारा भारत एक विशाल परिवार है, जिसमें सब भारतीय भ्रातृवत रह रहे है, यह भावना ही भारत की शक्ति और श्रेष्ठ का प्रतीक है एक भारत श्रेष्ठ भारत की गहरी और आधारभूत एकता देखने की कम और अनुभव करने की अधिक वस्तु है ।
वी०ए० स्मिथ सुविख्यात इतिहासवक्ता के कथन- “भारत में ऐसी गहरी आधारभूत और दृढ एकता है, जो रंग, भाषा, वेष-भूषा, रहन-सहन की शैलियों और जातियों की अनेकताओं के बावजूद सर्वत्र विद्यमान हैं ।
कालिदास, विक्रमादित्य, शंकराचार्य और चाणक्य जैसे युग पुरुषों ने इस देश के यश और कीर्ति का सम्वर्धन किया । कालिदास विश्व का अनूठा कवि और वरेण्य साहित्य प्रणेता था । वह अभी भी ‘उपमा सम्राट’ माना जाता है | न्याय के क्षेत्र में अपनी यश पताका फहराने वाले विक्रमादित्य, दर्शन के क्षेत्र में शंकराचार्य का नाम युगों तक दैदीप्यमान रहेगा । राजनीति, कुटनीति, शासननीति, के क्षेत्र में भारत विभूति कौटिल्य चाणक्य की वरेणयता नि:सन्दिग्ध है ।
हमारे देश की संविधान में 22 भाषाएँ शामिल है किन्तु राष्ट्र्भाषा होने का सुयोग हिन्दी को प्राप्त हुआ है । हमारा देश मानव-महासागर है, जिसमें विभिन्न जातियों की नदियाँ मिलकर एकाकार हो गई है ।
सारे संसार में सबसे अधिक प्राचीन और विलक्षण हमारी संस्कृति है । इसलिए संसार के बड़े-से-बड़े सभ्यतावाले देश समाप्त हो गये, किन्तु हम सारे आक्रमणों का गरल पीकर भी मृत्युंजय ही बने रहे । इकबाल के शब्दों में-
यूनान – मिश्र – रोमाँ,सब मिट गये जहाँ से ।
अब तक मगर है बाकी, नामो-निशाँ हमारा ।।
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी ।
सदियों रहा है दुश्मन, दौरे – जहाँ हमारा ।।
जब तक हमारे शरीर में अंतिम स्वास का स्पन्दन है, हम इसे सँवारने-सजाने की चेष्टा करते ही रहेंगे ।
सचमुच अखिल विश्व में हमारा देश अनुपम है । भारत का अतीत जितना भव्य था, उतना ही इसका वर्तमान और भविष्य भी भव्य रहेगा क्योंकि-हमारा भारत एक है और श्रेष्ठ है ।
एक भारत श्रेष्ठ भारत
“जहाँ भारत के हर रंग का संगम हो,
जहाँ हर भारतीय के विचारों का मिलन हो ।
अनेक विविधताओं से सजा,
मेरा एक भारत हो पर श्रेष्ठ भारत हों ।”